मेरी दुनिया...

Friday, September 5, 2008

तुम्हारे लिए....


सपने देखो तो ज़रूर
समझो सपनों की भाषा
निश्चित तुमको मिलेगी मंजिल
पूरी होगी आशा !
सपने साथ में हैं गर तेरे
तू मजबूर नहीं है
तूफानों से मत घबराना
मंजिल दूर नहीं है !
बड़े पते की बात है प्यारे
घबराकर मत रोना
आग में तपकर ही जो निखरे
है वही सच्चा सोना !
बुरा नहीं होता है प्यारे
आंखों का सपनाना
सपने सच भी होते हैं
यह मैंने भी है जाना !
सपने ही थे साथ सफर में
और तेरा हमसाया
कतरे की अब बात भुला दे
दरिया सामने आया !
नहीं असंभव बात ये कोई
फिर हो नई कहानी
तुम बन जाओ एक और
धीरू भाई अम्बानी !

10 comments:

Abha Khetarpal said...

padhke bahut prerna mili...
behad khoobsurat
Abha

Advocate Rashmi saurana said...

bhut badhiya. jari rhe.

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... said...


वाह अम्मा जी, बहुत ही सुन्दर कविता लिख दी आपने..!!
ऐसा लगता है की सच में कोई माँ पास बिठा कर प्यार से
अपने बेटे को समझा रही हो..
और जब आप जैसा प्रेरणा स्त्रोत हो तो कैसे ना कोई सपना पूरा हो,
और कैसे ना कोई अम्बानी बनने की राह में बढ़ चले??
बहुत-बहुत बधाई अम्मा जी..!!

एहसास said...

amma charan sparsh!
shikshak diwas par bahut hi khubsurat shabdon main aapne anmol sikh di......maargdarshak kavita!

...Aapka Ehsaas!

संत शर्मा said...

Ek sahaj shabdo me likhi gayi sakaratmak kavita. Wakai sapne bhavishya ka aadhar hote hai, aur yadi inka saath bana rahe to manzil door nahi.

वेद प्रकाश सिंह said...

नमस्ते अम्मा........आपकी कविताओं पर मै टिपण्णी करने लायक तो नहीं हूँ फिर भी करूंगा! सचमुच सपनो मे जीने का एक अलग ही मज़ा है!'हकीकत' तो बहुत छोटे होते है,मगर 'सपना' तो बहुत बड़ा होता है! सपनो का कोई अंत नहीं है!
मै जब organic chemistry पढ़ रहा था,खासकर benzene(an organic substance) के structure के बारे मे,तो मैंने वहाँ ये पढ़ा की जिस scientist ने benzene का सही structure दिया,वो इसे अपने एक सपने मे देखे थे,जैसा की उन्होंने कहा था.........ऐसी बहुत से examples है..........इसलिए सपने सच भी होते है! मेरा मानना है की खूब सपने देखो और जहां तक हो सके इन्हें हकीकत का रूप देने के लिए खूब मेहनत करो! तुम सपनो से कितना भी दूर भागो,सपने तो तुम्हारी आँखों मे आयेंगे ही,इनके आने का कोई समय,कोई उम्र नहीं होता...और हाँ,तुम्हारे बड़े बनने का भी कोई समय ,कोई उम्र नहीं होता.......याद रखना.................excellent poem amma

Unknown said...

bahut hi accha laga padh k

gyaneshwaari singh said...

kitna sahi likha hai apne

बड़े पते की बात है प्यारे
घबराकर मत रोना
आग में तपकर ही जो निखरे
है वही सच्चा सोना !

jab ham kathinayo ki aag mein jalte hai tabhi to har mushkil se bahar a a muskurate hai

amma ji aur rashmi ji doino ko aaj shikshak divas mein naman karti hun mein.
sakhi pyar ke sath

!!अक्षय-मन!! said...

सपनो के बिना कुछ नहीं बहुत सुन्दर..

डाॅ रामजी गिरि said...

सपनो की जनम-पत्री बांचने का खूबसूरत काम किया है..