मेरी दुनिया...

Saturday, April 19, 2008

हुआ क्या है??????


कुछ तो कहो,हुआ क्या है?

शिथिल प्राण,

शिथिल चरण,

उलझी अलकें,

उनीदीं पलकें,

छलकते नयन-

निर्मल झंझा के झोंकों से प्रवाहित,

दिग्भ्रांत पथिक -सा विक्षिप्त मन,

बड़ी जिज्ञासा है, कुछ तो कहो-

हुआ क्या है?

- पूछो जा सागर से,

मौन रत्नाकर से,

उठती हुई लहरों से,

उन्मादित ज्वारों से,

कैसा उत्पीड़न है,

कैसी आकुलता है,

कैसी विह्वलता है-

मुझसे मत पूछो, हुआ क्या है???????

Friday, April 11, 2008

टूटा हुआ आदमी भी,चलता है!



जो स्नेह करता हैं,
वही दुःख पाता हैं,
उसकी ही साँसें गिनती हैं घड़ियाँ,
वही चुना करता हैं,
आँसुओं के फूल,
छेड़ दिल के तारों को,
दर्द भरा गीत वही गाता हैं,
जो स्नेह करता हैं,
वही दुःख पाता हैं!
माना कि तुम-कोई कवि नहीं हो,
पर स्नेहसिक्त अनुभूतियों से अजनबी नहीं हो-
इस बात को तुम कैसे झुठलाओगे?
-नदी के उस पार ,
जब विश्वास का दिया जलता हैं,
तो सुना हैं मैंने-
"टूटा हुआ आदमी भी चलता हैं!"

Wednesday, April 9, 2008

प्यार भरा उपहार.......


सुबह,दोपहर,शाम,

और रात के रंग में रंगी

-समय की चादर,

बिना रुके सरकती जा रही हैं.....

धडकनों के अहर्निश ताल पर,

किसी अज्ञात नशे में झूमती,

ज़िंदगी थिरकती जा रही हैं.....

आगे बढ़ो,

जी चाहे जिस रंग से,

चादर पर अपना नाम लिख दो ,

जीवन-पात्र में ,

प्राणों की बाती डालकर,

नेह से भर दो.......

लौ उकसाओ,

और रंगों की मूल पहचान सीख लो,

इसी ज्योति में वो सारी तस्वीरें,

कहीं-न-कहीं दिखेंगी-

जो तुम्हारे आस-पास हैं...

देर मत करना,

वरना चूक जाओगे...

समय का क्या हैं,

उसके चरण नहीं थमते,

भूले से भी किसी का

इंतज़ार नहीं करते...

जीने के लिए मेरे प्रियवर ,

मन को अनुराग रंग में रंग लो..............

यह मेरी सीख नहीं,

प्यार भरा उपहार हैं!

Thursday, April 3, 2008

बांसुरी.....


मन को एक बांसुरी कि तलाश थी,
गीतों कि रिमझिम में-
जीवन भर भींगते रहने के लिए,
वह मिली और टूट गई!
वे सारे गीत,
जिन्हें गाकर गीतों कि रिमझिम में भींगना था ,
अन्गाए बिखर गए!
एक छोटी-सी बांसुरी को,
पता नहीं कैसे-
मैंने जीवन भर का संबल मान लिया था!