मेरी दुनिया...

Wednesday, August 20, 2008

कुछ साज-तुम्हारे लिए......

(१)
डूबते चाँद का पता पूछो
एक मुसाफिर यहीं पे सोया है
नभ की खिड़की से सर टिका करके
जाने कौन सारी रात रोया है!

(2 )
तेरा ख्याल मेरे साथ लगकर सोया है
थपकियाँ देकर कहानी सुनाई है
लोरी गाकर चादर उढ़ाया है
पलकों और गालों को आँचल से पोंछा है
होठों पर संजीवनी रख दी है
शायद थोडी देर पहले यह रोया है
तेरा ख्याल साथ लगकर सोया है.....

(३)
जा रहा किस ओर तू
कुछ बोल पंछी
किस पिपासा को लिए ओ बावरा
दर्द जब इंसान हर पता नहीं
क्या हरेंगे फिर ये चंचल धवल बादल?

(४)
आओ आज की रात
हम दरवाजों को खुला छोड़ दें
खिड़कियों को बंद मत करें
हमारी अधीरता वह भांप ले
और लौट आए.............