मेरी दुनिया...

Saturday, March 15, 2008

भुला देना...

गर कभी तुमसे रूठ जाऊं
तो तुम मना लेना...
मेरी गुस्ताखियों को दिल से
तुम भुला देना..

मैं कभी तुमसे अलग रह तो नहीं सकती
किसी कारण से बिछड़ जाऊं
तो तुम सदा देना..

जाने कितना तुमसे कहना है
सुनना है अभी
बातों के बीच मे सो जाऊं
तो तुम जगा देना..

थक गयी हूँ मैं बहुत दूर से आते आते
अब तेरी बाहों मे गिर जाऊं
तो तुम उठा लेना...

मेरा बचपन ही मेरे साथ रहा है अब तक
तुम भी आपने भोले बचपन को
न जुदा करना

गर कभी तुमसे रूठ जाऊं
तो तुम मना लेना...
मेरी गुस्ताखियों को दिल से तुम भूला देना.