
हमारे प्राण जलते हैं
वहाँ उस ओर धरती की
सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ अरमान पलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ वैभव बरसता है ,खनक सिक्कों की होती है
जहाँ इंसान की इंसानियत बेफिक्र सोती है
वहाँ उस ओर धरती की
सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ सपने मचलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ चाँदी की चकमक में ह्रदय का प्यार खो जाता
जहाँ भगवन भी छलछद्म में मजबूर हो जाता
वहाँ उस ओर धरती की सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ मानव बदलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ पर जन्म लेते ही खुली तकदीर सो जाती
जहाँ पर ज़िन्दगी की सुबह में ही शाम हो जाती
वहाँ उस ओर धरती की सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ दिनमान ढलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !!!
(नदी पुकारे सागर )
वहाँ उस ओर धरती की
सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ अरमान पलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ वैभव बरसता है ,खनक सिक्कों की होती है
जहाँ इंसान की इंसानियत बेफिक्र सोती है
वहाँ उस ओर धरती की
सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ सपने मचलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ चाँदी की चकमक में ह्रदय का प्यार खो जाता
जहाँ भगवन भी छलछद्म में मजबूर हो जाता
वहाँ उस ओर धरती की सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ मानव बदलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !
जहाँ पर जन्म लेते ही खुली तकदीर सो जाती
जहाँ पर ज़िन्दगी की सुबह में ही शाम हो जाती
वहाँ उस ओर धरती की सिसकती जीर्ण छाती पर
जहाँ दिनमान ढलते हैं
हमारे प्राण जलते हैं !!!
(नदी पुकारे सागर )