मेरी दुनिया...

Thursday, April 3, 2008

बांसुरी.....


मन को एक बांसुरी कि तलाश थी,
गीतों कि रिमझिम में-
जीवन भर भींगते रहने के लिए,
वह मिली और टूट गई!
वे सारे गीत,
जिन्हें गाकर गीतों कि रिमझिम में भींगना था ,
अन्गाए बिखर गए!
एक छोटी-सी बांसुरी को,
पता नहीं कैसे-
मैंने जीवन भर का संबल मान लिया था!