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जो स्नेह करता हैं,
वही दुःख पाता हैं,
उसकी ही साँसें गिनती हैं घड़ियाँ,
वही चुना करता हैं,
आँसुओं के फूल,
छेड़ दिल के तारों को,
दर्द भरा गीत वही गाता हैं,
जो स्नेह करता हैं,
वही दुःख पाता हैं!
माना कि तुम-कोई कवि नहीं हो,
पर स्नेहसिक्त अनुभूतियों से अजनबी नहीं हो-
इस बात को तुम कैसे झुठलाओगे?
-नदी के उस पार ,
जब विश्वास का दिया जलता हैं,
तो सुना हैं मैंने-
"टूटा हुआ आदमी भी चलता हैं!"