मेरी दुनिया...

Saturday, September 13, 2008

मुश्किल है...

मुश्किल है, कविता लिखना
जागते हुए सोना,
सोते हुए जागना
सपनों के मायावी गाँव में
किसी अपने को ढूंढ़ना !
यायावर मन को भ्रम की
ऊँगली थमाना ..........
बहुत मुश्किल है !
दर्द की एक-एक बूंदों को
बड़ी सावधानी और नरमी से इकठ्ठा करके
अक्षरों के धागे में तन्मयता से पिरोना
मेरे बन्धु !
बड़ी मुश्किल है !
कितना त्रासदाई है
करवटें बदलती ज़िन्दगी का सामना करना
उसकी आंखों की भाषा पढ़ते हुए
जी चाहे न चाहे,
आगे बढ़कर हाथ मिलाना
चेहरे को सहज बनाकर,
होठों पर मुस्कराहट लाना
ओफ़्फ़ !
बड़ी मुश्किल है !
बड़ी मुश्किल है मेरे पथबंधु !
गुजरते वक्त की पदचाप सुनना ,
और संजीदगी से सोचने पर मजबूर होना -
अब ये पल कभी वापस नहीं आनेवाला
भावनाओं के बहाव पर रोक लगाना
दाता से अतिरिक्त शक्ति की याचना करना
आंखों के पानी को
ऊँगली के पोर से झटक देना
चलती हुई बातों की कड़ी को थामकर
अचानक बोल उठना -
हाँ, तो क्या हुआ ?
आत्मा की सूरत पहचानते हो
तो समझ जाओगे मेरे सहचर ,
बड़ी मुश्किल है !