कुछ तो कहो,हुआ क्या है?
शिथिल प्राण,
शिथिल चरण,
उलझी अलकें,
उनीदीं पलकें,
छलकते नयन-
निर्मल झंझा के झोंकों से प्रवाहित,
दिग्भ्रांत पथिक -सा विक्षिप्त मन,
बड़ी जिज्ञासा है, कुछ तो कहो-
हुआ क्या है?
- पूछो जा सागर से,
मौन रत्नाकर से,
उठती हुई लहरों से,
उन्मादित ज्वारों से,
कैसा उत्पीड़न है,
कैसी आकुलता है,
कैसी विह्वलता है-
मुझसे मत पूछो, हुआ क्या है???????