
" उडती उमंगो कि कहानी-
सुनानी होगी ज़ुबानी,
गूंजती तरंगो कि बात-
बांटनी होगी सौगात,
मन कि पिटारी मे क्या है-बतलाओ तो?
नही समझ पाऊं तो,बैठ कर समझाओ तो!
वर्ना पछताओगे
चुप नही रह पाओगे
सच कहती हूँ यार-
मुझे, ढूँढ़ते रह जाओगे!
प्यार "
"सुन्दरता" एक ऐसा चित्र है , जिसे तुम आँख बंद करने के बाद भी देख लेते हो और कान बंद करने के बाद भी सुन लेते हो...ठीक उसी तरह कल्पनाओं की धरती अपनी हो जाती है, जब हमारे हाथ मे कलम हो तो...
2 comments:
वाह क्या बात है। देवनागरी में ही लिखिये।
wah sundar,dil ki baat keh hi deni chahiye,hai na.
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