मेरी दुनिया...

Saturday, March 15, 2008

भुला देना...

गर कभी तुमसे रूठ जाऊं
तो तुम मना लेना...
मेरी गुस्ताखियों को दिल से
तुम भुला देना..

मैं कभी तुमसे अलग रह तो नहीं सकती
किसी कारण से बिछड़ जाऊं
तो तुम सदा देना..

जाने कितना तुमसे कहना है
सुनना है अभी
बातों के बीच मे सो जाऊं
तो तुम जगा देना..

थक गयी हूँ मैं बहुत दूर से आते आते
अब तेरी बाहों मे गिर जाऊं
तो तुम उठा लेना...

मेरा बचपन ही मेरे साथ रहा है अब तक
तुम भी आपने भोले बचपन को
न जुदा करना

गर कभी तुमसे रूठ जाऊं
तो तुम मना लेना...
मेरी गुस्ताखियों को दिल से तुम भूला देना.

5 comments:

एहसास said...

jo shabd jigar main mere,
amma teri kalam pe aa rachha!
ehsaas chhipaaye jo bhav fire,
amma teri kalam pe aa rachha!

....aapke shabdon main ehsaas chhipaa hai amma!

..CHARANSPARSH!!

Anonymous said...

सुन्दर बहुत ही सुन्दर... शब्द नहीं मिल रहे तारीफ़ के लिए... ग़ज़ब का शब्द प्रवाह है...

Anonymous said...

bahut hi sundar

सरस्वती प्रसाद said...

शुक्रिया

डाॅ रामजी गिरि said...

जाने कितना तुमसे कहना है
सुनना है अभी
बातों के बीच मे सो जाऊं
तो तुम जगा देना..

BAHUT HI KHOOBSURAT EHSAS HAI...