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कुछ तो कहो,हुआ क्या है?
शिथिल प्राण,
शिथिल चरण,
उलझी अलकें,
उनीदीं पलकें,
छलकते नयन-
निर्मल झंझा के झोंकों से प्रवाहित,
दिग्भ्रांत पथिक -सा विक्षिप्त मन,
बड़ी जिज्ञासा है, कुछ तो कहो-
हुआ क्या है?
- पूछो जा सागर से,
मौन रत्नाकर से,
उठती हुई लहरों से,
उन्मादित ज्वारों से,
कैसा उत्पीड़न है,
कैसी आकुलता है,
कैसी विह्वलता है-
मुझसे मत पूछो, हुआ क्या है???????
6 comments:
bahut achha laga aaj ka kalam aise hee ashirwad detee raha karen
Anil
amma aapke shabdon pe kuchh kah sakoon....ye star to nahin....par jo mujhe mehsoos hua use hi likhta hoon.....kuchh galat ho to shamaa
Amma sach kahoon....aapke shabd mujhe us murat ke daras karaa gaye hain....jo kabhi khud jeewan main sawanra nahin...
par sundarta ki paribhasha uske haathon gadhi gayee...
jiski kala....kaljayee ban gayee
par swayam kal pe jay na paa saka kaheen...
ek suksham bhaaw ka satik chitran....sundar kavita...amma
....Charan sparsh
...Aapka EHSAAS!
पूछो जा सागर से,
मौन रत्नाकर से,
उठती हुई लहरों से,
उन्मादित ज्वारों से,
कैसा उत्पीड़न है,
कैसी आकुलता है,
कैसी विह्वलता है-
मुझसे मत पूछो, हुआ क्या है???????
bahut hi badhiya
''हुआ क्या है????'' वास्तव मे कमाल का लिखा है अम्मा आपने ॰॰॰॰आपका लिखा वास्तव में वर्तमान में व्याप्त सच्चाई का लेखा है जिसका शिकार हर कमजोर व्यक्ति है ॰॰॰॰॰॰॰ शुभकामनायें॰॰॰
बहुत सही कहा आपने, इस समाज की भी बड़ी अजीब विडम्बना है, सारे प्रश्न पीड़ित से किये जाते है, सारी अंगुलिया प्रताडित व्यक्ति की ओर ही उठती है, पीडा पहुचाने वाले से जबाब मँगाने का न किसी के पास इच्छा होती है ना साहस |
प्रश्न करने की प्रासंगिकता और सार्थकता पर सवाल खडा किया है.....
साधुवाद !!!!
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