मेरी दुनिया...

Saturday, August 9, 2008

नन्हे पैरों के नाम.......


( १ )

हम हैं मोर,हम हैं मोर

कूदेंगे , इतरायेंगे -

पंखों का साज बजायेंगे,

आपका मन बहलाएँगे ।

हम है मोर,हम हैं मोर

नभ में बादल छाएंगे,

हम छम-छम नाच दिखायेंगे

आपको नाच सिखायेंगे ।

हम हैं गीत,हम हैं गीत

दरिया के पानी का

मौसम की रवानी का

आपको गाना सिखायेंगे ।

हम हैं धूप,हम हैं छांव

आगे बढ़ते जायेंगे

कभी नहीं घबराएंगे

आपको जीना सिखायेंगे ।


( २ )

मैं हूँ एक परी

और मेरा प्यारा नाम है गुल

गर चाहूँ तो तुंरत बना दूँ

शूल को भी मैं फूल !

चाहूँ तो पल में बिखेर दूँ

हीरे,मोती ,सोना

पर इनको संजोने में तुम

अपना समय न खोना !

अपना ' स्व ' सबकुछ होता है

' स्व' की रक्षा करना

प्यार ही जीवन-मूलमंत्र है

प्यार सभी को करना !


( ३ )

मैं हूँ रंग-बिरंगी तितली

सुनिए आप कहानी,

मैं हूँ सुंदर,मैं हूँ कोमल

मैं हूँ बड़ी सयानी

इधर-उधर मैं उड़ती - फिरती ,

करती हूँ मनमानी ! मैं हूँ.................

फूलों का रस पीती हूँ

मस्ती में मैं जीती हूँ

रस पीकर उड़ जाती हूँ

हाथ नहीं मैं आती हूँ !

मैं हूँ रंग-बिरंगी तितली........


( ४ )

बिल्ली मौसी,बिल्ली मौसी

कहो कहाँ से आती हो

घर-घर जाकर चुपके-चुपके

कितना माल उडाती हो ।

नहीं सोचना तुम्हे देखकर

मैं तुमसे डर जाती हूँ

म्याऊं- म्याऊं सुनकर तेरी

अन्दर से घबराती हूँ !

चाह यही है मेरी मौसी

जल्दी तुमसे कर लूँ मेल

फिर हमदोनों भाग-दौड़ कर

लुकाछिपी का करेंगे खेल !

8 comments:

डाॅ रामजी गिरि said...

इन प्यारी मधुर रचनाओं ने मुझे अपने बचपन के दिनों की याद दिला दी जब 'नंदन' और 'पराग' पढने के लिए आतुर रहते थे...

प्रवीण त्रिवेदी said...

बल मन को लुभाती रचनाएँ मजेदार हैं........एक कविता अपने स्कूल के बच्चों के लिए चुन ली है /
बधाई
प्रवीण त्रिवेदी "मनीष"
प्राइमरी का मास्टर http://primarykamaster.blogspot.com/

masoomshayer said...

bahut manb hawan hai bacchon kee baten amma men bachhe bhee hai..ye baat bahuts achhee bhee hai

Anil

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... said...

चारों ही रचनायें सुन्दर बन पड़ी हैं,
मगर मुझे इनमे से बिल्ली मासी वाली कविता
ज्यादा पसंद आई..
बचपन की याद दिला गयी ये चारो रचना..!!

संत शर्मा said...

Rachnaye charo hi achchi hai.

"Mai hu Titli" mujhe bahut achchi lagi.

श्रद्धा जैन said...

bahut sunder rachnayen hai

شہروز said...

bahut achchi baal rachna.
mubarak bad qubul farmayen.

roli lath said...

koi kaviyatri itni vividhtaon wale rang bhi bhar saktee hai apni kavitaon me !!! wah ! aapko kisi varg me vargikrit nahi kiya ja sakta.bachon ka natkhat bachpan bhi bakhoobi jhalak aaya in kavitaon me.