मेरी दुनिया...

Saturday, September 13, 2008

मुश्किल है...

मुश्किल है, कविता लिखना
जागते हुए सोना,
सोते हुए जागना
सपनों के मायावी गाँव में
किसी अपने को ढूंढ़ना !
यायावर मन को भ्रम की
ऊँगली थमाना ..........
बहुत मुश्किल है !
दर्द की एक-एक बूंदों को
बड़ी सावधानी और नरमी से इकठ्ठा करके
अक्षरों के धागे में तन्मयता से पिरोना
मेरे बन्धु !
बड़ी मुश्किल है !
कितना त्रासदाई है
करवटें बदलती ज़िन्दगी का सामना करना
उसकी आंखों की भाषा पढ़ते हुए
जी चाहे न चाहे,
आगे बढ़कर हाथ मिलाना
चेहरे को सहज बनाकर,
होठों पर मुस्कराहट लाना
ओफ़्फ़ !
बड़ी मुश्किल है !
बड़ी मुश्किल है मेरे पथबंधु !
गुजरते वक्त की पदचाप सुनना ,
और संजीदगी से सोचने पर मजबूर होना -
अब ये पल कभी वापस नहीं आनेवाला
भावनाओं के बहाव पर रोक लगाना
दाता से अतिरिक्त शक्ति की याचना करना
आंखों के पानी को
ऊँगली के पोर से झटक देना
चलती हुई बातों की कड़ी को थामकर
अचानक बोल उठना -
हाँ, तो क्या हुआ ?
आत्मा की सूरत पहचानते हो
तो समझ जाओगे मेरे सहचर ,
बड़ी मुश्किल है !

20 comments:

GOPAL K.. MAI SHAYAR TO NAHI... said...

वाह अम्मा जी बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति की है आपने अपने मन की..
पढ़ कर अच्छा लगा..!!
और आपका यू ट्यूब देखकर और भी रोमांचित हुआ..

!!अक्षय-मन!! said...

kitna dard bebasi hai ..
bahut achhi rachna haiamma ji

रंजू भाटिया said...

बहुत अच्छा व सुंदर अम्मा जी ..सही कहा आपने बहुत मुश्किल है यूँ भावों को अभिव्यक्त करना

आंखों के पानी को
ऊँगली के पोर से झटक देना
चलती हुई बातों की कड़ी को थामकर
अचानक बोल उठना -
हाँ, तो क्या हुआ ?

यह पंक्तियाँ दिल के बहुत करीब लगीं मुझे ..

संत शर्मा said...

Khubsurat avivyaqti, Wakai bahut muskil hai ure me uthti bhawanao ko shabd dena.

डाॅ रामजी गिरि said...

"दर्द की एक-एक बूंदों को
बड़ी सावधानी और नरमी से इकठ्ठा करके
अक्षरों के धागे में तन्मयता से पिरोना
मेरे बन्धु ! बड़ी मुश्किल है !"

कविता तो कवि के मन का अतिरेक है शब्दों में.उसकी सार्थकता दूसरों तक पहुचने में नही, बल्कि अपनी और लौटने में है .

शेरघाटी said...

इतनी सहजता.ग़ालिब का क़ौल सादगी और पुरकारी को चरित्रार्थ करती कवितायें.
माँ जी हर बच्चे को आप जैसी माँ और हर माँ को रश्मि जैसी लडकी ज़रूर दे.लड़के आजकल माँ-व्रत कहाँ मिलते हैं.

श्रद्धा जैन said...

amaan ji jitni saadgi se aap likh deti hai sansaar ko man ko use padh kar achambhit rahe jaati hoon
ki kya kabhi main bhi utna khul kar sach likh paaungi

neelima garg said...

bahut sundar....

दीपक said...

बडी अच्छी और मधुर लगी ्ये कविता !! कविता ना लिख सकने पर कविता अत्यंत मर्म्स्पर्शी है !!

PREETI BARTHWAL said...

बहुत ही सुन्दर रचना है अम्मा जी । देर से आने के लिए माफी चाहुंगी ।

neelima garg said...

beautiful.....

Vinaykant Joshi said...

दर्द की एक-एक बूंदों को
बड़ी सावधानी और नरमी से इकठ्ठा करके
अक्षरों के धागे में तन्मयता से पिरोना
मेरे बन्धु ! बड़ी मुश्किल है !
बहुत ही सुन्दर सार्थक पंक्तियाँ
regards,
vinay

Anonymous said...

अम्मा,

कितना खूबसूरत लिखतीं हैं आप! वाह !

आज कुछ ढूँढ रही थी Internet पे। हर बार जो चित्र पसंद आता था, आपके ब्लाग तक ले आता था । एक नियम बनाया था केवल एक-दो ब्लाग पे जाने का, और कहीं नहीं; आज आपके घर आई, नियम कच्चे धागे की तरह टूट गया। आपको favourites में डाल लिया है ।

आपसे कवितामय आषीश लेने आती रहुँगी समय-समय पर !

कहने को मैं भी कवयित्री हूँ, पर अभी सोच कच्ची है :) मेरा कोई ब्लाग नहीं है, इसलिये आपको मुझ से मिलना होगा तो नाम ले के पुकारना होगा :)

सादर
शार्दुला

!!अक्षय-मन!! said...

मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????
๑۩۞۩๑वन्दना
शब्दों की๑۩۞۩๑

आप पढना और ये बात लोगो तक पहुंचानी जरुरी है ,,,,,
उन सैनिकों के साहस के लिए बलिदान और समर्पण के लिए देश की हमारी रक्षा के लिए जो बिना किसी स्वार्थ से बिना मतलब के हमारे लिए जान तक दे देते हैं
अक्षय-मन

ज्योत्स्ना पाण्डेय said...

अम्मा जी सादर प्रणाम!
इतना सामर्थ्य नहीं की आपकी रचना की विवेचना कर सकूं.
बस यही लगा की सत्य ने शब्दों का जामा पहन लिया है .
अंतर में कहीं खट-खटाती है कहती है ------खोल दो विचारों को ,और संसार को पहचानो.
आपकी छत्रछाया में रहूँ, इसी आशा के साथ.....

ज्योत्स्ना.

Shardula said...

Kya aap bata paayenge ki Amma ko kya hua, kyon itne dino se kuchh naya nahin post hua is blog pe.
Unka swasthya toh theek hai?

Roman mein likhne ke liye kshama chahungi, par jaldi mein likh rahi hoon.
Sadar... Shardula
shar_j_n@yahoo.com

KAVITA said...

bahut gahrai hai aapki kavita mein. Bhaut achha laga aapki kavita padhkar.
Deepawali ki hardik shubhkamnaun sahit.

निर्मला कपिला said...

दर्द की एक-एक बूंदों को
बड़ी सावधानी और नरमी से इकठ्ठा करके
अक्षरों के धागे में तन्मयता से पिरोना
मेरे बन्धु ! बड़ी मुश्किल है !
हाँ बहुत मुश्किल है बहुत भावमय कविता है। पता नही कैसे और क्यों कभी आपका ब्लाग नजर नही अया या शायद अब तक के समय तक अपना साथ नही था। सब को आशीर्वाद देते देते कई बार मन होता मुझे भी कोई आशीर्वाद दे बेशक आपकी छोटी बहन हूँ। मगर आपके आशीर्वाद की हकदार हूँ। आज अपनी लिस्ट मे डाल लिया आपका ब्लाग अब मिलते रहेंगे। अभी आपके बारे मे सब कुछ जानूँगी। धन्यवाद

kapil said...

bhale hi kitni hi mushkil ho duniya, par ye kavita bahut saral aur man me utar ke halchal machane wali rachna hai | aapko bahut sadhuvad |

Unknown said...

कृपया मेरी भी कविता पढ़ें और अपनी राय दें..
www.pradip13m.blogspot.com